डिप्रेशन ग्रस्त एक सज्जन जब पचास साल से ज्यादा के हो गये तो उनकी पत्नी ने एक काउंसलर का अपॉइंटमेंट लिया। पत्नी ने काउंसलर को बताया:- "ये भयंकर डिप्रेशन में हैं , " और इनकी ऐसी मनोस्थिति के कारण मैं भी ठीक नही हूँ। पत्नी की बातें सुनने के बाद काउंसलर ने काउंसलिंग शुरू की, उन्होंने उस व्यक्ति से कुछ निजी बातें भी पूछी और उसकी पत्नी को बाहर बैठने को कहा। सज्जन बोलते गए… बहुत परेशान हूं… चिंताओं के बोझ तले दब हुआ हूं… नौकरी का प्रेशर... बच्चों के एजूकेशन और जॉब की टेंशन... घर का लोन , कार का लोन... कुछ मन नही करता... दुनिया मुझे तोप समझती है... पर मेरे पास कारतूस जितना भी क्षमता नही.... मैं डिप्रेशन में हूं... कहते हुए पूरे जीवन की किताब खोल दी। तब विद्वान काउंसलर ने कुछ सोचा और पूछा , " दसवीं में किस स्कूल में पढ़ते थे ?" सज्जन ने उन्हें स्कूल का नाम बता दिया। काउंसलर ने कहा:- " आपको उस स्कूल में जाना होगा। आप वहां से आपकी दसवीं क्लास का रजिस्टर लेकर आना , अपने साथियों के नाम देखना और उन्हें ढूंढकर उनके वर्तमान हालचाल क
!! खूबसूरत हो तुम गुलाब सी रंग बे-नज़ीरी का है एक ये भी !! !! पास हो तुम दूर भी रंग अहसास का है इक ये भी !! !! अपनी हो तुम पराई भी रंग रिश्तों का है इक ये भी !! !! तमन्ना हो तुम बे-पायां सी रंग इंतेहाई का है एक ये भी !! !! ख्व़ाब हो तुम हक़ीकत भी रंग तसव्वुर का है एक ये भी !! !! साथी हो तुम रहबर भी रंग सफ़र का है एक ये भी !!