बहुत पुरानी बात है एक दिन किसी गाँव के पास के जंगल से एक चरवाहा अपनी भेड़-बकरियां चराकर वापस लौट रहा था। पास ही नदी के किनारे गाँव के कुछ बच्चे खेल रहे थे। वहीँ खेलते-खेलते बच्चों के झुण्ड में से किसी एक बच्चे को रेत में दबा एक बहुत खूबसूरत चमकीला पत्थर मिला। सभी बच्चों ने उसे देखा और उस पत्थर की खूबसूरती की तारीफ की मगर कोई भी उस पत्थर की सही पहचान नहीं कर पाया , ये उनकी आयु अनुसार अर्जित ज्ञान का अभाव था। पास से गुजरते हुए चरवाहे ने जब बच्चों के हाथों में वो चमकीला पत्थर देखा तो बड़ी उत्सुकता से उसे अपने हाथों में लेने के लिए बच्चों की ओर गया। वहां बच्चों ने बड़ी आसानी से वो चमकीला पत्थर उस चरवाहे के हाथों में दे दिया , बच्चे थे। वो कहाँ उस चमकीले पत्थर का मोल समझते थे। खैर मोल तो वो चरवाहा भी नहीं समझता था कि आखिर ये खूबसूरत पत्थर है क्या। मगर उसे वो पत्थर भा गया। उसने बच्चे से पूछा कि क्या वो ये पत्थर रख सकता है बदले में वो उस बच्चे को अपनी एक बकरी का दूध अभी निकाल कर पिलाएगा। बच्चा खुश हो गया उसने कहा ठीक है , सौदा हो गया बच्चे को बकरी का दूध मिल गया और बदले में
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