दोस्तों हर किसी के जीवन में एक क्षण ऐसा आता है जब हम खुद को हारा हुआ मानने लगते है। फिर चाहे बात उम्र के उस पड़ाव की हो जहां इंसान अपनी बढ़ती ज़िम्मेदारियों के बोझ से परेशान होकर हार मानने लगता है या फिर उन नौजवानों की जो वक़्त पर करियर में सेट नहीं हो पाने के कारण परेशान होते हैं या फिर उन स्कूल स्टूडेंट्स की जिनके इम्तेहान के रिजस्ट्स उनके मुताबित नहीं आने पर अपना साहस खो देते हैं। कई बार तो दोस्तों लोग इन सारी घटनाओं से इतने विचलित हो जाते हैं कि अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर लेते हैं। जबकि एक पक्षी के जीवनचक्र से प्रेरित आज की हमारी कहानी ऐसी ही परिस्थितियों से लड़ने के लिए प्रेरित करती हैं। जब हम हताश होकर खुद को हारा हुआ मनाने लगते हैं। बाज़ लगभग 70 वर्ष जीता है , परन्तु अपने जीवन के 40 वें वर्ष में आते - आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग पंजे , चोंच और पंख निष्प्रभावी होने लगते हैं। पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है वह शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्
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